सुन्दरकाण्ड पाठ अर्थ सहित | Sunderkand PDF Download

सुंदरकांड श्री रामचरित मानस का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पाठ है। यह हनुमान जी की महिमा का वर्णन करता है और उनके द्वारा श्री राम के लिए किए गए अद्भुत कार्यों को बताता है। सुंदरकांड को पढ़ने से व्यक्ति को शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है।

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PDF Nameसुन्दरकाण्ड पाठ (Sunderkand Path)
No. of Pages130
PDF Size 1.87 MB
Language Hindi
PDF CategoryReligion & Spirituality
Last Updated17 August 2023
 सुन्दरकाण्ड पाठ अर्थ सहित

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ PDF | Sunderkand PDF

सुन्दरकाण्ड क्या है ?

सुन्दरकाण्ड रामायण के सात काण्ड मे से एक काण्ड है. जिसमे हनुमान जी की भक्ति और साहस का वर्णन किया गया है. हनुमान, भगवान राम के परम भक्त, देवी सीता को खोजने और वापस लाने के लिए शोध पर निकलते हैं, जिन्हें राक्षस राजा रावण ने अपहरण कर लिया था. यह यात्रा स्वयं एक आशा की किरण बन जाती है, यह दर्शाती है कि अथक विश्वास और दृढ़ संकल्प के माध्यम से असंभव चीजों को भी , प्राप्त किया जा सकता है |

सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी के कई अद्भुत कार्यों का वर्णन किया गया है, जैसे कि समुद्र को लांघना, लंका में प्रवेश करना, सीता से मिलना, रावण के रावण के दरबार में हनुमान का प्रवेश, रावण के रथ को जला देना, लंका में आग लगा देना, सीता को वापस लाना, और सीता को राम से मिलाना.

सुन्दरकाण्ड क्या है ?

सुन्दरकाण्ड पाठ को कैसे करते है?

इस पाठ को आप अपनी इच्छा अनुसार 11,21,31 या 41 दिनों तक कर सकते है | यह पाठ आप एक साफ-सुथरी जगह पर बैठकर कर सकते है | सबसे पहले आपको एक हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करनी है और   घी का दीपक जलाना है, साथ मे हनुमाजी के चरणों मे 7 पीपल के पते चढाने है | और लड्डू का भोग भी चढ़ाना है | यह सब करने के बाद ही सुन्दरकाण्ड का पाठ करना है |

तत पश्चात पीपल के पत्ते की माला बनाकर अपने किसी नजदीक हनुमान जी के मंदिर में जाकर चढ़ाएं |  यह कार्य आपको हर रोज करना है | जब आपके चुने दिन खत्म हो जी तब हवन आदि करवाए | सुन्दरकाण्ड पाठ के साथ हनुमान चालीसा भी करने से आपको धन की प्राप्ति हो सकती है |

सुन्दरकाण्ड पाठ के लाभ

1. आत्मा की शांति

सुन्दरकाण्ड पाठ करने से हमारी आत्मा को शांति मिलती है। हनुमानजी की अद्भुत भक्ति और सेवा का वर्णन हमें जीवन के महत्व को समझने में मदद करता है।

2. श्रीराम का आदर्श

सुन्दरकाण्ड में श्रीराम के दिव्य आदर्शों का वर्णन किया गया  है, जिनसे हम जीवन में नेतृत्व और नैतिकता की महत्वता सीखते हैं।

मानसिक और शारीरिक लाभ

1. तनाव का समाधान

सुन्दरकाण्ड ka पाठ से हमारे मानसिक तनाव का दूर होता है। श्रीराम की भक्ति और हनुमानजी की कड़ी सेवा से हमारा मन प्रसन्नता प्राप्त करता है।

2. स्वास्थ्य की सुरक्षा

सुन्दरकाण्ड के पाठ से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है । हनुमानजी के अद्वितीय बल से हमारे शरीर की रक्षा होती है और हम बीमारियों से मुक्ति पाते हैं।

सुन्दरकाण्ड का महत्व

1. आदर्श और प्रेरणा

सुन्दरकाण्ड में वर्णित हनुमानजी की अद्वितीय भक्ति और निष्ठा हमें आदर्श और प्रेरणा देती है।

2. संकट से मुक्ति

हनुमानजी के अद्वितीय शकतिया हमे संकट में आपदाओं से मुक्ति दिलाती  है और नई ऊर्जा प्रदान करता है।

सुन्दरकाण्ड पाठ

1 – जगदीश्वर की वंदना
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहंकरुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥1॥


भावार्थ: शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरने वाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ

2 – रघुनाथ जी से पूर्ण भक्ति की मांग
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितंकुरु मानसं च ॥2॥


भावार्थ: हे रघुनाथजी! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए

3 – हनुमान जी का वर्णन
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तंवातजातं नमामि ॥3॥


भावार्थ: अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान् जी को मैं प्रणाम करता हूँ

4 – जामवंत के वचन हनुमान् जी को भाए
चौपाई:

जामवंत के बचन सुहाए,
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई,
सहि दुख कंद मूल फल खाई ॥1॥


भावार्थ: जामवंत के सुंदर वचन सुनकर हनुमान् जी के हृदय को बहुत ही भाए। (वे बोले-) हे भाई! तुम लोग दुःख सहकर, कन्द-मूल-फल खाकर तब तक मेरी राह देखना

5 – हनुमान जी का प्रस्थान
जब लगि आवौं सीतहि देखी,
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा,
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा ॥2॥


भावार्थ: जब तक मैं सीताजी को देखकर (लौट) न आऊँ। काम अवश्य होगा, क्योंकि मुझे बहुत ही हर्ष हो रहा है। यह कहकर और सबको मस्तक नवाकर तथा हृदय में श्री रघुनाथजी को धारण करके हनुमान् जी हर्षित होकर चले

6 – हनुमान जी का पर्वत में चढ़ना
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर,
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार-बार रघुबीर सँभारी,
तरकेउ पवनतनय बल भारी ॥3॥


भावार्थ: समुद्र के तीर पर एक सुंदर पर्वत था। हनुमान् जी खेल से ही (अनायास ही) कूदकर उसके ऊपर जा चढ़े और बार-बार श्री रघुवीर का स्मरण करके अत्यंत बलवान् हनुमान् जी उस पर से बड़े वेग से उछले

7 – पर्वत का पाताल में धसना
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता,
चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना,
एही भाँति चलेउ हनुमाना ॥4॥


भावार्थ: जिस पर्वत पर हनुमान् जी पैर रखकर चले (जिस पर से वे उछले), वह तुरंत ही पाताल में धँस गया। जैसे श्री रघुनाथजी का अमोघ बाण चलता है, उसी तरह हनुमान् जी चले

8 – समुन्द्र का हनुमान जी को दूत समझना
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी,
तैं मैनाक होहि श्रम हारी ॥5॥


भावार्थ: समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथजी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात् अपने ऊपर इन्हें विश्राम दे)

रामचरितमानस के काण्ड

रामचरितमानस के काण्ड

  • बालकाण्ड (Bal Kand)
  • अयोध्याकाण्ड (Ayodhya Kand)
  • अरण्यकाण्ड (Aranya Kand)
  • किष्किन्धाकाण्ड (Kishkindha Kand)
  • सुन्दरकाण्ड (Sundar Kand)
  • लंकाकाण्ड (Lanka Kand)
  • उत्तरकाण्ड (Uttar Kand)

सुन्दरकाण्ड पाठ Download Link

FAQ

सुन्दरकाण्ड क्या है?

सुन्दरकाण्ड वाल्मीकि रामायण का एक भाग है जिसमें हनुमानजी के अद्वितीय कर्म और भक्ति का वर्णन होता है।

सुन्दरकाण्ड का पाठ क्यों करें?

सुन्दरकाण्ड के पाठ से आत्मा और मानसिक शांति मिलती है, साथ ही श्रीराम के आदर्श और हनुमानजी की भक्ति से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

सुन्दरकाण्ड का पाठ कैसे करें?

सुन्दरकाण्ड का नियमित पाठ करें और समझ के साथ पढ़ें। यदि संभव हो, तो गुरु की मार्गदर्शन में करना उत्तम है।

सुन्दरकाण्ड की विशेषता क्या है?

सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के अद्वितीय बल और भक्ति की कहानियाँ होती हैं जो उत्तराधिकारी जीवन के लिए प्रेरणा स्रोत होती हैं।

क्या सुन्दरकाण्ड का पाठ हर किसी के लिए है?

जी हां, सुन्दरकाण्ड का पाठ हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो आत्मा की शांति और सकारात्मकता प्राप्त करना चाहते हैं।